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पथिक नहीं, युग-पथिक हूँ मैं
जो आता तुझे निहारने
बनकर उल्का कभी, या धूमकेतु
अशनि कभी, या चाँदनी |
मेरे स्व!
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पथिक नहीं, युग-पथिक हूँ मैं
जो आता तुझे निहारने
बनकर उल्का कभी, या धूमकेतु
अशनि कभी, या चाँदनी |
मेरे स्व!
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