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घना धुंध था
फिसलन भी
एक अकेला मैं खोया
जीवन के लम्बे पथ पर ।
खमोशी थी
तन्हा भी
यादों में सिहरन अनजाने ही
ढूँढ़ तुझे रहा था
चप्पा चप्पा छूकर।
नासमझी थी
बदहोशी भी
छोड़ रहा था छू छू
मील मील का पत्थर ।
दुनिया छूटी
खुशबू छूटे
सपने टूटे, अपने रूठे
पाया तुमको तब जाकर ।
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