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Peace PoetryPoetry1 min read

जो खिलाफ थे वो खिलाफ रहे।

Salman SultanpuriSalman Sultanpuri September 29, 2021
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जो खिलाफ थे वो खिलाफ रहे.
जो हमदर्द हो वो साथ रहे.

जिन्हें नफरत हो वो दूर रहे.
हो जिन्हें मोहब्बत पास रहे.

जिन्हें सुबह चाहिए आम रहे.
जिन्हें रात चाहिए खास रहे.

जो नादान सत्ता के साथ खड़े है.
वो मुस्तक़बिल के खिलाफ खड़े है.

हम हर हाल वतन के साथ खड़े है.
पड़ी जब जब जरूरत साथ लडे है.

हमे हर इंसान आजाद चाहिए.
झूटी हुक़ूमत बर्बाद चाहिए.

2 वक़्त की रोटी सुकून चाहिए.
इन सब के लिए बस जुनून चाहिए.

हमे मुल्क़ हमारा आबाद चाहिए.
इनकी सब चाले बर्बाद चाहिए.

हमे हर क़ातिल न माफ चाहिए.
बस यू समझो इंसाफ चाहिए.

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