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प्रेम क्या हैं...
अगर कोई मुझसे पूछे कि प्रेम क्या हैं?
तो मेरा जवाब यही होगा कि
"प्रेम कुछ नही हैं,महज़ एक वहम के सिवा"
आप किसी से बात करते हैं,
वो शख़्स आपको अच्छा लगने लगता हैं,
उसकी ख़ूबसूरती, उसका नज़रिया,
उसकी हर बात आपको अच्छी लगने लगती हैं,
और धीरे धीरे आपको उसकी आदत हो जाती हैं।
आपको पता भी नही चलता कि कब वो अट्रैक्शन आदत बन जाती हैं, और जब वो आदत पूरी नही होती,तो आपको लगता हैं कि आपको उस इन्सान से प्रेम हैं।
लेकिन अफ़सोस ये सच नही हैं,
सोचो कल उस इंसान की जो अच्छाई आपको बहुत अच्छी लगती थी,वो न रही तो?,
उसकी खूबसूरती किसी हादसे का शिकार हो गयी तो?
उसकी अच्छी आदत किसी वजह से बदल गयी तो?
क्या लगेगा तुम्हें उस वक़्त ?
सोचो ज़रा।
तुम्हे लगेगा कि तुमने किसी गलत इंसान पर अपना वक़्त ज़ाया कर दिया।उसने आपको उतनी इम्पोर्टन्स नही दी,या उतना प्यार नही दिया,जितना आपने उसको दिया था।
फ़िर तुम्हे बेसबब तक़लीफ़ होगी।
और अक़्सर लोगों को होती भी हैं।
इसलिए बेहतर हैं कि अपनी फ़ैमिली और करियर पर फ़ोकस कीजिये।
क्योंकि इंसान के ज़ज़्बात वक़्त के साथ बदल जाते हैं।
आपके भी ज़रूर बदले होंगे।
अपनी पिछली ज़िंदगी पर ग़ौर करो और देखो कि क्या आज भी आप अपनी उस वक़्त की ख़ास चीज़ो से उतना ही attached हैं, जितना उस वक़्त थे।
Obviously जवाब "ना" ही होगा क्योंकि यही दुनिया हैं, यही ज़िंदगी हैं और यही हम सब हैं जो इसे जी रहे हैं।
जाने वाले लोगो से शिक़वा करने से कई बेहतर हैं अपने आज को जीना, अपने माँ-बाप का ग़ुरूर बनना और अपनी ज़िंदगी को हर रोज़ बेहतर बनाने की एक छोटी सी कोशिश करते रहना क्योंकि इंसान और ज़ज़्बात दोनों ही वक़्त के साथ आते जाते रहते हैं मग़र आपके आख़िर तक आपके साथ रहता हैं, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ आप ख़ुद हैं,और कोई नही।
इसलिए ख़ुद से प्यार कीजिए ,अपनी ज़िंदगी से प्यार कीजिये औऱ मेरी ये कुछ चंद lines याद रखिए-
ज़िंदगी बहुत देर तक अंधेरे में नही रहती,
पहले ख़ुदा पर फ़िर ख़ुद पर ऐतबार करो।
ग़र बुरा हैं दौर,तो बीत जायेगा,
वक़्त के गुज़रने का इंतज़ार करो।
यूँ न हुआ करो उदास हर घड़ी,
बुरे वक़्त से भी थोड़ा सा प्यार करो।
क्यों मानते हो हार हर मोड़ पर,
नई जंग के लिये ख़ुद को तैयार करो।
- Salma Malik
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