
Share0 Bookmarks 32 Reads0 Likes
हाँ बहुत देर तक तो नहीं,
मगर तुम्हारी यादें आती हैं आज भी
मेरे बालिन(सिराहने) पर,मेरे करवट बदलते ही,
मुझें सताने,
और मैं कोशिश करती हूँ उन्हें ऐसे ही नजरअंदाज करने की,
जैसे यात्रा करते हुए हम बहुत सारी चीज़ो को नजरअंदाज कर देते है,
कई बार लगता है मानो जैसे तुम और मैं एक दूसरे से दूर भाग रहे हो,जैसे भागते है पेड़,
जब हम सफ़र में होते है,
मगर फिर सोचती हूँ कि पेड़ तो असल में अपनी ही जग़ह खड़े है,दूर तो हम भागते है उनसे
और तब मैं समझ जाती हूँ कि
हम दोनों असल में एक दूसरे से कितना दूर निकल आये हैं।
और ये दूरी सिर्फ़ मैंने तय की है,
तुमने नहीं,
तुम तो वही ख़ड़े हो आज भी उन पेड़ो की तरह,
मगर मैं ख़ुद को बहुत दूर ले आयी हूँ।
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी का वो बीता हुआ वक़्त हूँ,
जो कभी लौटकर नही आयेगा
क्योंकि वक़्त की नियति है सिर्फ़ और सिर्फ़ चलना
और पेड़ो की नियति है रुके रहना।
- Salma Malik
03 December 2022
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments