कविता - नियति's image
Poetry1 min read

कविता - नियति

Salma MalikSalma Malik December 3, 2022
Share0 Bookmarks 48210 Reads0 Likes
हाँ बहुत देर तक तो नहीं,
मगर तुम्हारी यादें आती हैं आज भी 
मेरे बालिन(सिराहने) पर,मेरे करवट बदलते ही,
मुझें सताने,
और मैं कोशिश करती हूँ उन्हें ऐसे ही नजरअंदाज करने की,
जैसे यात्रा करते हुए हम बहुत सारी चीज़ो को नजरअंदाज कर देते है,
कई बार लगता है मानो जैसे तुम और मैं एक दूसरे से दूर भाग रहे हो,जैसे भागते है पेड़,
जब हम सफ़र में होते है,
मगर फिर सोचती हूँ कि पेड़ तो असल में अपनी ही जग़ह खड़े है,दूर तो हम भागते है उनस

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts