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जब जब ज़िन्दगी में ख़ुद को हारा हुआ महसूस करो,तो ख़ुद से ये ज़रूर कहना कि नही,मैं हार नही मान सकता/सकती।अभी मुझे बहुत चलना हैं।उस रास्ते पर,जिसपर चलना लोगो के लिए हमेशा से मुश्किल रहा हैं- "क़ामयाबी का रास्ता", औऱ ये रास्ता कई संघर्षों से होकर गुज़रता हैं।
मदन मोहन दानिश का एक बड़ा ही ख़ूबसूरत शेर हैं-
"तुम्हे ये दुनिया कभी फ़ूल तो नही देंगी,
मिले हैं काँटे तो काँटो को ही गुलाब करो।
उस क़ामयाबी की मंजिल पर पहुँचने के लिए ज़रूरी हैं तुम्हारा चलना।ज़िन्दगी में कभी भी हार मानने से ये ज़रूर सोचना और समझना कि तुम्हारे पीछे कितनी दुआएँ हैं, कितनी उम्मीदे जुड़ी हैं, कितना त्याग रहा हैं, ख़ास तौर से तुम्हारे परिवार का,माता-पिता का।
वो सारा त्याग और दुआएँ इसलिये नही थी कि तुम ज़िन्दगी से हार कर,थक कर बैठ जाओ,बल्कि इसलिए थी कि हमेशा आगे बढ़ते रहों, हर मुश्किल को पार करके।
ज़िंदगी मे कई लोग आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन जानो वालो की वज़ह से तुम टूट कर बैठ जाओ।तुम्हें कोई हक़ नही हैं ऐसा करने का।तुम्हारी ज़िन्दगी सिर्फ़ तुम्हारी नही हैं इस पर कई औऱ लोगों का भी हक़ हैं, तुमसे उम्मीदे जुड़ी हैं उनकी।
और तुम्हें कोई हक़ नही हैं कि तुम टूट हार कर थक कर बैठ जाओ।
बेहद ज़रूरी हैं तुम्हारा चलना,आगे बढ़ना,इसलिये नही कि तुम्हें कुछ बनना हैं, बल्क़ि इसलिए कि तुम्हे तुमसे जुड़ी हुई उम्मीदों को टूटने नही देना हैं।क्योंकि उम्मीदें टूटने का दर्द तुम बेहतर जानतें हो।लाज़मी हैं तुम पर कि तुम किसी औऱ की उम्मीदों को टूटने न दो।
सो पढ़ते रहों, सीखते रहों, आगे बढ़ते रहों।
- Salma Malik
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