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जब ज़िंदगी नया मोड़ ले रही हों तो कुछ समझ नही आता कि हम कैसे उस situation को face करे या कैसे react करे।औऱ सब अपनी उलझनों में उलझें हो।कोई भी दिलासा नही दे रहा हो कि डरने की ज़रूरत नही हैं, आने वाली ज़िंदगी बहुत बेहतर होगी तुम्हारी।
दोस्त होते हैं न मुश्किल दिनों में साथ देने को,समझाने को,मग़र कोई भी ऐसा न कर रहा हो या न कर पा रहा हो,तो मुश्किल सी लगती हैं ज़िंदगी, मानो एक उलझी सी पहेली हो। और फिर हम बस एक कोशिश करते हैं, ख़ुद के जज़्बात को छिपाने की।
और अपने जज़्बात को छिपाते छिपाते एक दिन हम ख़ुद को हर रिश्ते से छिपाने की कोशिश करने लगते हैं।
रातों की नींद भी रात की रोशनी की तरह कही ग़ायब सी हो जाती हैं लाख चाहते हुए भी अपनी बेचैनी को अल्फ़ाज़ की चादर में नही लपेट पाते हैं।
अंधेरे की तरह एक बैचैनी हमारे ज़िस्म से लिपट जाती हैं और हम उसे ख़ुद से अलग ही नही कर पाते हैं, हम्म शायद ये भी ज़िंदगी का एक हिस्सा हैं औऱ हमें अपने इस हिस्से को भी जीना पड़ता हैं, ये बैचैनी वाला हिस्सा भी ज़िंदगी हैं अगर समझो तो। हम ख़ुद के जज़्बात और ख़ुद को हर रिश्ते से छिपाने की कोशिश करते हैं क्योंकि हमे हमेशा एक डर बना रहता हैं,कि अगर किसी से बात की ,तो कही जज़्बाती न हो जाए हम,कही किसी से वो सब न कह दे, जो किसी से नही कहा। इसलिए जब हमारे पास किसी को देने को कुछ नही होता,तो जो कुछ होता हैं वो सिर्फ़ ख़ामोशी होती हैं।"
यही होता हैं जब अपने जज़्बात को छिपाने की कोशिश करते हैं तो महज़ तक़लीफ़ होती हैं।मग़र मुझें लगता हैं कि भले ही हमारी उम्मीद टूट जाये मग़र हमारी वज़ह से किसी की उम्मीद नही टूटनी चाहिए।रिश्ते खूबसूरत हो जाते हैं वक़्त और प्यार देने से,उनके जज़्बात को समझने से।उनकी क़द्र करने से।
अगर आपके पास आज भी वो रिश्ते हैं जो आपको प्यार देते हैं इज़्ज़त देते हैं, आपकी वज़ह से hurt होने के बावजूद आपको प्यार देते हैं, तो आपका भी फ़र्ज़ बनता हैं कि आप पिछला सब भूलकर उनके साथ साथ आगे बढ़ते रहे।उनकी खुशियों में शामिल होकर, और उनके दर्द को बाँटकर।
और यक़ीन मानिए सूकून मिलता हैं।
- Salma Malik
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