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अरमां हुए गुलज़ार, बेसब्री भरी रात थी।।

मेरी महबूब से वो,पहली मुलाकात थी।।

फूल खिले गुलसन में,खुशबू भी साथ थी।।

हवाओं में भी उस दिन,कुछ अलग बात थी।।

घनघोर अमावस में भी,खिली चाँदनी रात थी।।

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