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करती बातें मुझसे ,मेरी गुड़िया सारी रात
चाहे वो भी बाहर आना मेरे साथ।
स्कूल के लिए जब होती हूँ तय्यार,
पूछे मुझसे एक ही सवाल।
मुझको भी है पढ़ना-लिखना,
तुम जैसा है मुझको दिखना।
बार-बार मैं समझाती हूँ,
छुपके से ही निकल जाती हूँ।
जब मैं वापस आती हूँ,
उसको भी मैं पढ़ाती हूँ।
ख़ुशी-ख़ुशी वो हसती हैं ,
मेरी भी रेविज़न होती है ।
रूठना उसको आता नही ,
झगड़ा हमारा होता नही ।
सुंदर सी ये गुड़िया मेरी ,
दोस्त है वो सबसे प्यारी ।
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