
Share0 Bookmarks 86 Reads0 Likes
जब तुम्हे रातो को नींद नहीं आती है
जब तुम्हे दिन भर में हुई कोई बात सताती है
जब सपनो में भी तुम्हे तुम्हारी गलतिया ही नज़र आती है
मै समझता हूँ
जब तुम्हारे अपनो को भी तुमपे नाज़ नहीं होता है
तुम्हारे होने न होने का उनपे कोई अहसास नहीं होता है
भीड़ में रहके भी तुम ख़ुद को अकेला पाते हो
तो मैं समझता हूँ
जब तुम्हारे दोस्तो के पास तुमसे अच्छे कपड़े होते है
तुम्हारी जरूरतों से ज़्यादा तो उनके नख़रे होते है
अपने फटे हुए जूतों को देख जो तुम नज़रे चुराते हो
तो मैं समझता हूँ
जब तुम्हारी हर हसीं के पीछे एक दर्द होता है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments