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मौन की हुंकार हूं मैं
धनुष की टंकार हूं
मधुमक्खी का शहद हूं
मैं सांप की फुंकार हूं
मानवों का रणयुद्ध हूं
सिंह का प्रहार हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे भारत मां की जय जयकार हूं
विचित्र स्वरूपों का हूं धनी विकराल मेरे बोल है
प्रेम में न कोई कपट ईर्ष्या में न मोल तोल है
गौर देखो मुझे मंद मंद मुस्कान हूं
बिगड़ गई जो चाल मेरी खौलता श्मशान हूं
आकार हूं विकार हूं साकार हूं निराकार हूं
विनाश की हूं विकट लीला प्रेम की सुगंधित बयार हूं
आदि से बदल रहा अनंत तक हूं परिवर्तित
तुम धराशायी हो गए मैं जीवित हूं होकर भी विघटित
सनसनाती श्वास हूं दहकती पेट की आग हूं
लटपटाता सा नशा शांत आनंद का बाग हूं
बिगड़ गई जो चाल मेरी मैं खौलता श्मशान हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे मैं जगजाहिर हिन्दुस्तान हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे मैं स्थिरचित हिंदुस्तान हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे मैं भारत महान हूं
मैं विकराल होता जा रहा जो रोक सको तो रोक लो
मैं झूम रहा अपनी चाल में जो टोक सको तो टोक लो
मैं लक्ष्य अपने कार्य का परिणाम अपने कर्म का
मैं भाव ईश्वर के स्वरूप का
मैं रूप नमाज के मर्म का
मैं ईसाई का ईसा हूं
नानक का उसूल हूं
मैं विवाह की सप्तपदी मैं निकाह का कुबूल हूं
मैं हिमालय की सुंदरता हूं
राजस्थान का मरुस्थल हूं
मैं बुद्ध की शांति मैं हिंद की हलचल हूं
पहचान सको तो पहचान लो मैं घोर अंधेरा ब्रह्मांड का
मैं अयोध्या का राम हूं हनुमान सुंदरकांड का
मैं नागाओं की नग्नता मैं मुसलमानों का हिज़ाब हूं
मैं त
धनुष की टंकार हूं
मधुमक्खी का शहद हूं
मैं सांप की फुंकार हूं
मानवों का रणयुद्ध हूं
सिंह का प्रहार हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे भारत मां की जय जयकार हूं
विचित्र स्वरूपों का हूं धनी विकराल मेरे बोल है
प्रेम में न कोई कपट ईर्ष्या में न मोल तोल है
गौर देखो मुझे मंद मंद मुस्कान हूं
बिगड़ गई जो चाल मेरी खौलता श्मशान हूं
आकार हूं विकार हूं साकार हूं निराकार हूं
विनाश की हूं विकट लीला प्रेम की सुगंधित बयार हूं
आदि से बदल रहा अनंत तक हूं परिवर्तित
तुम धराशायी हो गए मैं जीवित हूं होकर भी विघटित
सनसनाती श्वास हूं दहकती पेट की आग हूं
लटपटाता सा नशा शांत आनंद का बाग हूं
बिगड़ गई जो चाल मेरी मैं खौलता श्मशान हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे मैं जगजाहिर हिन्दुस्तान हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे मैं स्थिरचित हिंदुस्तान हूं
गौर से देख दुश्मन मेरे मैं भारत महान हूं
मैं विकराल होता जा रहा जो रोक सको तो रोक लो
मैं झूम रहा अपनी चाल में जो टोक सको तो टोक लो
मैं लक्ष्य अपने कार्य का परिणाम अपने कर्म का
मैं भाव ईश्वर के स्वरूप का
मैं रूप नमाज के मर्म का
मैं ईसाई का ईसा हूं
नानक का उसूल हूं
मैं विवाह की सप्तपदी मैं निकाह का कुबूल हूं
मैं हिमालय की सुंदरता हूं
राजस्थान का मरुस्थल हूं
मैं बुद्ध की शांति मैं हिंद की हलचल हूं
पहचान सको तो पहचान लो मैं घोर अंधेरा ब्रह्मांड का
मैं अयोध्या का राम हूं हनुमान सुंदरकांड का
मैं नागाओं की नग्नता मैं मुसलमानों का हिज़ाब हूं
मैं त
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