Share0 Bookmarks 48912 Reads0 Likes
(बाधाएं और कठिनाइयां हमें कभी रोकती नहीं है अपितु मजबूत बनाती है)
लफ़्ज़ों से कैसे कहूं कि मेरे जीवन की सोच क्या थीं? आखिर मैने भी सोचा था कि पुलिस बनूंगा, डाॅ बनूंगा किसी की सहायता करके ऊॅचा नाम कमाऊंगा पर नाम कमाने की दूर... जिन्दगी ऐसे लडखङा गई जैसे शीशे का टुकङा गिर पड़ा हो फर्क इतना सा हो गया जितना सा जीव - व निर्जीव मे होता है । मै क्युं निष्फल हुआ ?
हाॅ मैं जिस कार्य को करता था उसमें सफल होने की आशा नही करता था मेहनत लग्न से जी -चुराता था इसलिए मेरे सोच पर पानी फेर आया । गुड़ गोबर हो गया।अगर मैने मेहनत लग्न से जी - लगाया होता तो किसी भी मंजिल पा सकता था ऊंचा नाम कमा था। अभी भी मेरे मन में कसक होती है।' जब वे लम्हें याद आते हैं और दिल के टुकड़े-टुकड़े कर जाते हैं। कि काश, मैं उस दौर में समय की कीमत को जाना और समझा होता : जिस समय को युंही खेल - कुद , मौज- मस्ती मे लुटा दिया । बहरहाल, 'अब मै गङे है मुर्दे उखाङकर दिल को ठेस नही लगाऊंगा.. वरन् उन दिलों नव -नीव डालकर भविष्य का सृजन करुंगा ।'
हाॅ ,मै अल्पज्ञ हूं। किंतु इतना साक्षर भी हूं कि अच्छे और बुरे व्यक्ति की पहचान कर सकूं।उन दोनों की तस्वीर समाज के सामने खींच सकूं । फिर यह कह सकूं कि ' सत्यवान की सोच में और बुरे इंसान की सोच मे जमीं व आसमां से भी अधिक अन्तर होता है चाहे क्यों ना एक - दु
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments