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उनके दस्तूर भी निराले हैं
आप मारे हैं, फिर संभाले हैं
नफ़रतों की चिता में सिंकते हैं
जो तेरी थाल में निवाले हैं
तितलियों! और बाग़ तुम देखो
इस चमन में ज़हर के प्याले हैं
आपको तीरगी से क्या लेना
आपके घर में तो उजाले हैं
- साहिल
Twitter: @Saahil_77
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