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कोई ताबीज़ है, दुआ कोई
मुझे लगता है तू ख़ुदा कोई
अक्स अपना भी अब नहीं दिखता
साज़िश-ए-आईना है क्या कोई?
एक अंधी गुफ़ा के जैसा दिल
इब्तिदा है ना इंतिहा कोई No posts
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कोई ताबीज़ है, दुआ कोई
मुझे लगता है तू ख़ुदा कोई
अक्स अपना भी अब नहीं दिखता
साज़िश-ए-आईना है क्या कोई?
एक अंधी गुफ़ा के जैसा दिल
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