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कोई ताबीज़ है, दुआ कोई
मुझे लगता है तू ख़ुदा कोई
अक्स अपना भी अब नहीं दिखता
साज़िश-ए-आईना है क्या कोई?
एक अंधी गुफ़ा के जैसा दिल
इब्तिदा है ना इंतिहा कोई
अब मुहब्बत के हाथ मरना है
इस ख़ुशी में ही मर गया कोई
उनका हमसे निबाह क्या होगा
जिनका नफ़रत से राब्ता कोई
- साहिल
Twitter: @Saahil_77
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