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फीका चाँद

SahilSahil March 3, 2022
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हमें वो कब समझते थे 

उन्हें हम कब समझते थे 

मगर जो कुछ नहीं थे वो  

वही सब हम समझते थे 

चमक औरों की वो निकली

जो उस रूख़ से टपकती थी 

वो फीके चाँद ही निकले  

जिन्हें सूरज समझते थे 

- साहिल

Twitter: @Saahil_77

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