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पतवारों से हारता, नदियों का विस्तार
बाधा हो चट्टान सी, बन पानी की धार
माटी तप के घट बने, सज जाये बाज़ार
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पतवारों से हारता, नदियों का विस्तार
बाधा हो चट्टान सी, बन पानी की धार
माटी तप के घट बने, सज जाये बाज़ार
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