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परस्तिश में किसी इन्सा की, हमने क्या नहीं देखा
वही जो था नहीं देखा, नहीं जो था वही देखा
वो जब भी सामने आया, मुखौटा कोई पहने था
किसी ने आज तक उसका असल चेहरा नहीं देखा
जो पत्थर था, वो पत्थर है, दीवाने पूजते उसको
कभी हमने किसी पत्थर को पर्बत सा नहीं देखा
तिलिस्मी पुल बनाते हैं जो सच की तुंद नदियों पे
ये लगता है उन्होंने कोई पुल बहता नहीं देखा
- साहिल
Twitter: @Saahil_77
- परस्तिश = पूजा
- तुंद = तीव्र; प्रचंड
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