
Share0 Bookmarks 142 Reads1 Likes
हर घड़ी ये गुनाह करते हैं
ज़िंदगी से निबाह करते है
रोज़ मुझमें ही कुछ दरकता है
रोज़ ख़ुद को तबाह करते हैं
कोई खाता-बही ना रख पाये
No posts
No posts
No posts
No posts
हर घड़ी ये गुनाह करते हैं
ज़िंदगी से निबाह करते है
रोज़ मुझमें ही कुछ दरकता है
रोज़ ख़ुद को तबाह करते हैं
कोई खाता-बही ना रख पाये
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments