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भँवर दीखता चारों खाने
कूल किनारे छूमंतर
दुख ठहरे गहरे दलदल से
सुख हैं सारे छूमंतर
डूबे सागर, डूबे कश्ती,
डूबे सूरज, दिल डूबे
आँखों की दो बूँद के आगे
नदिया धारे छूमंतर
मातम की काली सी चादर
नील गगन ओढ़े सोया
दिन में सूरज बुझा बुझा
तो रात में तारे छूमंतर
- साहिल
Twitter: @Saahil_77
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