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जीने का नज़रिया हमने बदल दिया है
आज से ज़िन्दगी को हमने, तेरा नाम दिया है
जिसको हो यकीं, वो बयाँ करे
के शाख़ ने फ़ूल को कब बिछड़ने दिया है
कभी नज़र हटाने से कतराते थे, अब नज़र मिलाने से डरते हैं
एक हादसे ने हमें कितना बदल दिया है
मुझे हार जाने का पहली मरतबा ग़म हुआ
जब सुना, उसके वालिद ने उसका ब्याह कर दिया है
आज भी उन आंखों में कुछ दिखता है हमें
उसने अपने बेटे को मेरा नाम दिया है
-(साहिल कुमार )
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