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वो शाम कुछ अजीब थी
इंसानों की जिंदगी की
मौत की लकीर थी
जिसने निगल लिया सैकड़ों
मासूमों को
उन मुस्कराते होठों की मौत
की तहरीर थी,
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वो शाम कुछ अजीब थी
इंसानों की जिंदगी की
मौत की लकीर थी
जिसने निगल लिया सैकड़ों
मासूमों को
उन मुस्कराते होठों की मौत
की तहरीर थी,
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