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जिंदगी की कुछ बिखरी शिराओं की तलाश
अपने खोए वजूद की तलाश
निकल पड़े हैं अनजाने राह पर
दिल में एक विश्वास की आस,
सब कुछ था अपना हुनर भी था
फिर गुमनामी का ये अंधेरा क्यों
शायद खुद को ना समझ सका
दुनिया पर कर इतना विश्वास ।
अपने ही नाकामियों का बोझ लेकर
जीता रहा घुट घुट कर
कभी अपना भी वक्त होगा फिर
अपना वजूद रोशन होगा सफलता
की मंजिल पाकर ।।
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