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घोंसले से उड़ चले पखेरू
अपना दाना पानी जुटाने को
छोड़ चले अपना घर आंगन
अपनी मंजिल पाने को,
भटक रहे परदेश में दर दर
कोई ना हमदर्द इधर
अपनों का आशीर्वाद यहां बस
नहीं मिला कुछ
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घोंसले से उड़ चले पखेरू
अपना दाना पानी जुटाने को
छोड़ चले अपना घर आंगन
अपनी मंजिल पाने को,
भटक रहे परदेश में दर दर
कोई ना हमदर्द इधर
अपनों का आशीर्वाद यहां बस
नहीं मिला कुछ
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