
Share0 Bookmarks 62 Reads0 Likes
तुम कहां थे जब मैं विकल था,
देखता रहा राह पर ना आए तुम कभी
ये कैसी तुम्हारी खामोशी का आलम,
तुम चुपचाप मेरे हौसलों का तोड़ते भरम ।
मैं भी अब तुमको भूल जाने की कोशिश
में मगन,
तुम भी चिर निद्रा में बेखबर हमसे रहे,
कब तलक राह में तकता रहूं
जब तुम खोए रहे अपने मूक दर्शक बन ।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments