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ये तिलिस्म सियासत का
या सियासतदां की बाजीगरी
लोकतंत्र के नाम पर वोट की
जादूगरी,
जनता के पैसे लेकर जनता
पर एहसान करते हैं,
पैसा बहाते पानी की तरह
सत्ता को मचलते हैं,
जनता के धन से जन कल्याण
फिर बखान क्यों भाई,
अपने हिस्से मलाई और जनता
को सूखी रोटी की दुहाई,
कमाल है सियासत का लोकतंत्र
का आधार,
धन का व्यापार है सियासत बाजार ।।
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