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घर से निकला कुछ दूर चला
ठोकर लगी घबरा गया,
मकसद मेरा पूरा होगा नहीं यह
सोचकर घबरा गया,
इस तरह की भ्रांतियों का मूल हमारे
जज्बात में है,
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घर से निकला कुछ दूर चला
ठोकर लगी घबरा गया,
मकसद मेरा पूरा होगा नहीं यह
सोचकर घबरा गया,
इस तरह की भ्रांतियों का मूल हमारे
जज्बात में है,
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