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भौरों की फितरत है खिले फूलों
पर मंडराते,
उनका ही रस चूसते और हर फूलों
पर जाते ।
मुरझाए हुए फूलों पर कभी जाते नहीं
वो,
सूखे हुए फूलों में रस खुशबू पाते नहीं
वो,
प्रकृति भी संदेश देती स्वार्थ का पैगाम
खूबसूरती है जब तलक आशिक हैं तमाम,
बासी, मुरझाए फूलों पर आता नहीं कोई,
रसहिन मुरझाए फूलों को देखता नहीं कोई ।।
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