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स्त्री एक लता है,
जो हरी भरी पत्तियों और फूलों से
घर आंगन को गुलजार करती है,
माता पिता के घर रहती है तो अपने
प्रेम और समर्पण से एक लता की
तरह लिपटी रहती है ।
लचीलापन ऐसा की हर आंधी तूफान
को सह लेती है कभी टूटती नहीं,
जब पति के घर रहती है तो अपने
व्यवहार और समर्पण से हर ओर खुशहाली
और हरियाली बिखेरे रहती है ।
कभी बेटी, कभी बहन कभी पत्नी के
रूप में पुरुष की वो सहभागिनी है
जो एक लता की भांति सबके प्रेम और
समर्पण के लिए लिपटी रहती है ।
ईश्वर की वो उत्कृष्ट रचना है जो सृष्टि
की निर्मात्री है , वह मां जिसके सामने
स्वयं ईश्वर भी नतमस्तक रहते हैं ।।
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