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यह कविता कोरोना काल में असमय अपनी जान गंवाने वालों के प्रति श्रद्धांजलि है ।
जो चले गये हैं इस दुनिया से,
वो अपने ही थे बेगाने नहीं,
उनके जीवन की रक्षा का,
हमने जो विश्वास दिलाया था,
उसका पालन हम कर ना सके,
संवेदनशील हैं पर कह ना सके,
हमको एहसास है उस दर्द का,
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