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सोने चांदी का अंबार लगा बैठे हो
खुद में कुबेर बन बैठे हो,
कब तक कब तक रहेगा ये वैभव
क्या जिंदगी को गुलाम बना बैठे हो,
एक ना एक दिन जिंदगी की शाम
हो जायेगी,
ये दौलत ये शोहरत काम नहीं आयेगी,
ये रंगीनियां ये महफिलें छोड़ तुम्हें
दूर चली जायेंगी ।।
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