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बड़ा अजीब शगल है इंसान
खुद को जानवर समझ बैठा है
अपने बहादुरी दिलेरी की तुलना
नरभक्षी शेर से करता है ।
इंसान एक विवेकशील प्राणी है
जिसमें दया, क्षमा बहादुरी सब कुछ है
पर विवेक है अच्छे बुरे का विश्लेषण
करने का,
जब इंसान पाशुविक प्रवृति का हो जायेगा
तो जीवन का सारांश समाप्त हो जाएगा ।।
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