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राजा हरिश्चंद्र:
सब कुछ लुटा दिया
सत्य व्रत के लिये,
राज पाट छोड़ वन
को हो लिये,
परीक्षा में लुट गया
राज भोग विलास
धन सम्पदा
दर दर की ठोकरे खाने
पर आमादा,
पत्नी बच्चों को भी बेचा
सत्य फिर भी ना छोडा,
अन्त में भगवान ने अपना
जिद छोडा,
सब कुछ पुन: लौटाया
आशीर्वाद यह दिया,
सत्यवादी हरिश्चंद्र का
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