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समाज आज एक अनजाने
मोड पर खडा है,
जहां इंसानी रिश्ते नफरत
मेँ बदलते जा रहे हैं,
जाति धर्म मजहब के नाम पर
सामाजिक ताना बाना टुट रहा है,
आखिर कहां खो गये हमारे
प्रेम, व्यवहार,सदभाव,
सामाजिक रिश्ते ?
तलशना होगा !
फिर से अपने सामाजिक रिश्तों,
की बुनियाद बनानी होगी,
जाति धर्म मजहब से उपर उठ
इंसानी रिश्तों मानवता को
स्थापित करना होगा ।।
“जो बंट गया वह मिट गया,
जो मिल गया वह खिल गया।।
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