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लफ्जों के तीर दिल को चीर देते हैं
दिखता नहीं किसी को पर घाव
गंभीर देते हैं,
जब जब कोई तीखा शब्दों का वार
होता है,
इंसान अपनी बेबसी पर अकेले में
रोता है,
रिश्ते कोई भी हों पर विश्वास हो अटल
जब कांच टूटता है तो बिखर जाता है
कण कण,
अपने गरूर अपने अल्फाज को विराम
दीजिए,
जब रिश्तों की माला बिखर गई तो
तो कुछ ना बोलिए,
जिंदगी के हर दौर में रूकावटें बहुत हैं यार
सब्र और विश्वास से जीत मिलती है
बार बार ।।
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