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नफरतों के हर तूफान को मिटा दो
प्यार का संदेश फिजा में फैला दो,
मिटा दो धर्म मजहब के हर तकरार को
खिला दो फूल हर दिलों में प्यार के
ना रहे दूरियां इंसानियत के जज्बात में
गले मिल कर रहें हर इंसान इंसान के,
खुदा कहो या ईश्वर वही कायनात का मालिक
उसी के बंदे हैं हम सब वही इस चमन का माली ।।
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