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ये प्रजातंत्र है या राजतंत्र
जनता को समझ ना आएगा
मनभावन वादों से जनता को
बहलाया जाएगा,
भूख गरीबी से लड़कर जनता टैक्स
भरती रहती,
सत्ता राजा महाराजा बन वैभव का
सुख करती रहती,
बड़े बड़े विज्ञापन छपते नई नई योजनाओं के
वादों के नए नए पिटारों से
जनता को भरमाय
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