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हम रहें ना रहें हमारा नाम सदा रहेगा
पुत्र की पहचान पिता से जुड़ा रहेगा
अंगुली पकड़ जिसने चलना सिखाया
कंधे पर बिठाकर आसमान की ऊंचाइयों
एहसास दिलाया,
आज भी उन ऊंचाइयों को ना नाप पाया
पिता के कंधों की ऊंचाइयां ना छू पाया ।
पिता पुत्र का जीवन की छाया
उसी के नसीहतों का फल पुत्र बुलंदियों
को छू पाया,
शत शत नमन पिता को
पुत्र की पहचान का ।।
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