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पेड के पत्ते
एक दिन घर से अनमने मन से निकला,
एक पेड के नीचे बैठ ,
सोचने लगा !
धरती ने जीवन के लिये
सब कुछ हमें दिया,
अन्न, जल,पेड पौधे, फल फूल,
सब कुछ हमें प्रकृति ने दिया,
फिर भी हम इन्सान सदा अधिक
की चाह रखते है,
मैं जिस पेड के नीचे बैठा था,
बहुत से सुखे पत्ते बिखरे पडे थे,
मैने मन ही मन सोचा
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