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एक सच जो हमें खुली आंखों से दिखता है
और वही सच दुनिया के बाजार में बिकता है,
जो चमक दमक और हंसी के फव्वारे
हर चेहरे पर मुस्कान जिंदगी के हंसी नजारे
क्या यही सच है या कुछ और ?
इन नकली मुस्कान के पीछे एक दर्द की
दास्तां,
जो कामयाबी और शोहरत के लिए
अपनी इज्जत और सम्मान को कर देते
हैं नीलाम,
यही चमकती तस्वीर के पीछे का सच जो
गाहे बगाहे सरेआम हो जाता है जब
बिकने वाला भी विरोध का हथियार बन जाता है
दौलत शोहरत नाम पहचान अवश्य है मगर
पर इंसान कोई मशीन नहीं बल्कि भावनाओं
का समंदर है जब तूफान उठता है तो
अपने साथ ना जाने कितनी कश्ती और हस्ती
को नेस्तनाबूद कर देता है ।
हर चमक के पीछे एक बनावट का अंदाज है
पर्दे के पीछे के सच से हम सब अंजान हैं ।।
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