
Share0 Bookmarks 65 Reads0 Likes
भूख और गरीबी के गुलाम हो गए
अवाम अब मजबूरी का शिकार हो गए
दो वक्त की रोटी के लिए शासन पर हैं निर्भर
आत्मसम्मान खोकर गुलाम हो गए ।
मेहनत ना कर सके ये कैसी है फितरत
आलस और कामचोरी की अवाम है मूरत
कब तक चलेगा मुफ्त खाने का सिलसिला
जब खुद का जमीर नीलाम हो गए ।
अपने ही पैरों में ना बांधों बेड़ियां
खुद के मेहनत से कमाओ रोटियां
अपने पसीने की कीमत को समझ कर
आत्मसम्मान की कमाई से बांटो हर खुशियां ।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments