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मूंद लो आंखे कुछ भी दिखाई देगा नहीं
आंखे खुली होंगी तो चुप्पी ही सुनाई देगी कहीं
आवाज जो गूंजेगी फिजा में बगावत की,
मूक कर दी जाएगी हलचल दिखाई देगी नहीं,
सत्ता जब अवाम के पैगाम को नजरंदाज करे,
ज्वालामुखी के दहकते शोलों का एहसास करे,
इंसान इंसान में जब नफरत का बीज बोया गया
तो इंसानियत की मशाल का आगाज कौन करे ।।
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