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मुझे कुछ नहीं चाहिए जमाने से
मुझे बचा के रखना इन फसानों से
जो तकरीरें लकीर खींच कर अलग कर दे
दूर ही रहना है इन सियासत दानों से,
यह मुल्क जो प्यार का गुलदस्ता था
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मुझे कुछ नहीं चाहिए जमाने से
मुझे बचा के रखना इन फसानों से
जो तकरीरें लकीर खींच कर अलग कर दे
दूर ही रहना है इन सियासत दानों से,
यह मुल्क जो प्यार का गुलदस्ता था
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