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झूठ को सच मान उसको पाने की
लालसा मृगतृष्णा है,
रेगिस्तान में दूर तक फैली रेत,
सूर्य के प्रकाश से ऐसी चमकती है
जैसे पानी से भरा सरोवर है
अर्थात धूप से चमकती रेत पानी<
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झूठ को सच मान उसको पाने की
लालसा मृगतृष्णा है,
रेगिस्तान में दूर तक फैली रेत,
सूर्य के प्रकाश से ऐसी चमकती है
जैसे पानी से भरा सरोवर है
अर्थात धूप से चमकती रेत पानी<
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