
माया महा ठगनी हम जानी !
यह सच है आज माया ने सबको भरमाया है, आज दौलत के आगे सब नतमस्तक है, सब बिकने के लिए तैयार बैठे हैं बस कीमत लगाने की देर है, हमारा देश लोकतंत्र का सोपान है, इसमें संविधान द्वारा मुख्य स्तंभ बताए गए हैं, कार्यपालिका, न्यायपालिका,मीडिया , सरकारें जो जनतंत्र के द्वारा चुनी जाती हैं । आज लगभग सभी स्तंभों की भूमिका संदेहास्पद हो गई ।
विशेषरूप से मीडिया की बात करते हैं सभी चैनल पैसा और पावर के दबाव में एक पक्षीय समाचार दिखाते हैं जितना उनको निर्देश रहता है, ज्यादातर मीडिया हाउस तो इस प्रकार सरकार का पक्ष दिखाते हैं जैसे सब कुछ रामराज्य का पर्याय बन गया है । लोकतंत्र में जनता मुख्य है परंतु जनता के मुद्दे गौड़ हैं जो विषय समाज में नकारात्मक भाव पैदा करें इस प्रकार के समाचारों को पूरी शिद्दत से दिखाते हैं ।
सरकारी आंकड़े बताते हैं मीडिया हाउस करोड़ों में पैसा पाते हैं अपनी दुकानदारी चलाने के लिए, जो बिक गया वो सच कहां दिखाएगा । मोटी मोटी तनख्वाह देकर प्रवक्ता, एंकर आदि को अप्वाइंट कर अपने चैनलों द्वारा आधा सच या सच कहिए तो केवल भ्रामक खबरें ही दिखाते हैं ।
यह लोकतंत्र की त्रासदी है की दौलत से सब बिकने के लिए तैयार बैठे हैं, फिर आम अवाम का क्या होगा ?
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