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“मासूम कर्मवीर”
हिकारत भरी नजरों से ना इनको देखो,
ये बच्चे भी इंसान हैं,
अपनी परिवार के ये नन्हें बालवीर,
रोटी के भगवान हैं,
इममें भी हसरतें हैं की पढ लिख कर,
एक अच्छा इंसान बने,
अपने देश अपने समाज का,
अभिमान बने ।
भूख और गरीबी के सताये हैं ये,
अपने परिवार के रोटी के लिये,
दर दर भटकते हैं ये,
इनके कंधे से लटकता ये गोनी का थैला,
इनकी जरुरत का साधन है थैला,
कचरे के ढेर में तलाशते हैं रोटी,
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