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हर इंसान अपनी मंजिलें खुद ही तय करता
गिरता है संभलता है आगे ही बढ़ता,
पथरीली राहों पर घायल होकर भी
मंजिल के जुनून में बस चलते ही रहता ।
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हर इंसान अपनी मंजिलें खुद ही तय करता
गिरता है संभलता है आगे ही बढ़ता,
पथरीली राहों पर घायल होकर भी
मंजिल के जुनून में बस चलते ही रहता ।
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