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मन निरंकुश घोड़े को तरह है
जो किसी भी दिशा में सरपट दौड़ता है,
कभी कभी अपने सवार को भी गिराकर
घायल कर देता है ।
मन को एकाग्र कर किसी लक्ष्य को
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मन निरंकुश घोड़े को तरह है
जो किसी भी दिशा में सरपट दौड़ता है,
कभी कभी अपने सवार को भी गिराकर
घायल कर देता है ।
मन को एकाग्र कर किसी लक्ष्य को
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