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माँ अपने हिस्से की रोटी भी
खिला देती है,
माँ तो रात रात भर जागकर,
गीले बिस्तर पर खुद सोकर,
सूखे पर हमको सुलाती,
माँ लोरी की मधुर स्वर लहरी
से नीँदिया को बुलाती,
अपने आँचल की छाया से
हर धूप से बचाती,
माँ वो है जिसकी हर खुशियाँ
एक मुस्कान में समा जाती ।।
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