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नीले अम्बर में तूं बैठी है मां,
मुझे मालूम है तूं मुझे देखती है मां,
तूं धरती पर रहे या अंबर में
तेरे आंचल का साया बनके छाया रहे,
तेरे आशीर्वाद से मेरा कारवां बढ़े ।
एक पुतला ही था जो अनबोल था
उसमें ममता के अंकुर से सींचा सदा
खुद के अस्तित्व को कुर्बान किया
तेरी ममता को सदा पूजा मैंने,
मुझे विश्वास है तूं सदा साथ है
तेरा आशीर्वाद ही मेरा विश्वास है ।।
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