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मकसद की तलाश में भटकते हैं रात दिन
इंसान अपने वजूद से लड़ते हैं रात दिन
हर सुबह उम्मीद लेकर उठते हैं सभी
आज होगा सब कुछ नया सोचते है सभी,
दिन ढलते ही रात के अंधेरे में घिर गए
उम्मीद की रोशनी की आस में सो गए,
सुबह की लाली में आशाओं को लिए
मकसद की तलाश में फिर चल दिए ।
जिंदगी यही है इसका सच भी यही
इंसान मकसद के लिए भटकता है हर कहीं ।।
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